रविवार, 4 दिसंबर 2011

किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी हैं...

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किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी हैं
कंहा हो तुम के यह दिल बेकरार आज भी हैं
एक झलक पा जाने को तड़प रहा हूँ मैं
कभी भूल जाऊंगा तुझे इस बात से इंकार आज भी है

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2 प्रतिक्रियाएँ:

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